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1.
प्रेमचंद का जन्म एक गरीब घराने में काशी से चार मील दूर लमही गांव में हुआ था । उनके पिता डाक मुंशी थे ।
सात साल की अवस्था मे माता का और चौदह की अवस्था मे पिता का देहांत हो गया । घर मे यों ही बहुत गरीबी थी, पिता के देहांत के बाद उनके सिर पर कठिनाइयों का पहाड़ टूट पड़ा । रोटी कमाने की चिंता बहुत जल्दी उनके सिर पर आ पड़ी । ट्यूशन कर करके उन्होंने मेट्रिक पास किया और फिर बाकायदा स्कूल मास्टरी की ओर निकल गये । नौकरी करते हुए उन्होंने एम.ए. और बी. ए. पास किया । एम. एड. करना चाहते थे, पर कर ना सके।
स्कूल मास्टरी के रास्ते पर चलते चलते सन 21 में वह गोरखपुर में डिप्टी इंस्पेक्टर स्कूल थे । जब गांधीजी ने सरकारी नौकरी से इस्तीफे का बिगुल बजाया, उसे सुनकर प्रेमचन्द ने भी फौरन इस्तीफा दे दिया । उसके बाद कुछ रोज उन्होंने कानपुर के मारवाड़ी स्कूल में काम किया, पर वह चल नहीं सके । अंतिम दिनों के एक वर्ष छोड़कर सन 34-35 बम्बई की फिल्मी दुनिया मे बिता, उनका पूरा समय बनारस और लखनऊ में गुजरा, जहाँ उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया ।
2.
वर्तमान युग वैज्ञानिक चमत्कारो का युग है । वैज्ञानिक आविष्कारों ने मानव जीवन को सुख समृद्धि से परिपूर्ण कर दिया है । दूरदर्शन भी एक महान देन है । इसने हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र पर बहुत गहरा प्रभाव डाला है । दूरदर्शन मनोरंजन तथा ज्ञानवर्धन का सर्वाधिक लोकप्रिय साधन है । यह शिक्षा का श्रेष्ठ माध्यम है । औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए दूरदर्शन विज्ञापन का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है । मनुष्य के जीवन के अकेलापन को दूर करने के लिए दूरदर्शन एक महत्वपूर्ण साधन है । बाद में देखने की आदत बन जाती है ।
दूरदर्शन ने एक और नई समस्या पैदा कर दी है । इसके माध्यम से लोगों का घर बैठे ही मनोरंजन हो जाता है । इससे उनकी क्रियाशीलता कुंठित हो जाती है । वे जीवन के छोटी छोटी बातों का आनंद नहीं उठा पाते । वे न तो प्रकृति की सुंदरता देखकर मुग्ध होते है, न उसकी सराहना कर पाते हैं । हिंसक और मार-धाड से भरे कार्यक्रम देखते देखते बच्चों और युवा पीढ़ी की संवेदनशीलता ही समाप्त हो चली है । वे उदासीन बनते जा रहे हैं ।
3.
अनपढ़ बनाए रखने की साजिश । रोटी, कपड़ा और मकान के बाद जिस देश मे पहिली, या कहे एकमात्र आवश्यकता साक्षरता और शिक्षा है, वहां ऐसी दृष्टिहीनता या तो मूर्खता के कारण है या फिर धूर्तता के कारण । हो सकता है कि जिन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आतंक और वर्चस्व को रोकने की आवाजें उठाई जा रही है, उन्हीं की गहरी पकड़ हमारी सारी आर्थिक और राष्ट्रीय नीतियों को तय कर रही है । क्योंकि जिन चीजों पर छूट दी गयी है वे सभी तो बाहर से आती है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि अंतरराष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक कम्पनिया जिन रियायतों और दरियादिली के साथ भीतर तक घुस कर "कम्प्यूटर युग" ला रही है, उन्हों ने हमारे कर्णधारों को ही सबसे पहले रोबो या मशीन-मानवो में बदल डाला है। खैर, यह तो साफ ही है कि कम्प्यूटर के क्षेत्र में पुर्जे सब बाहर से आयात होंगे और भारतीय उद्योगपती सिर्फ उन्हें अपना ठप्पा लगाओ और बेच दो । न किसी अनुसंधान की जरूरत है, न विकास की । उगते हूए उद्योग के लिए यह शॉर्टकट कितना आत्मघाती है, यह बताने की जरुरत नहीं हैं ।
अगले दसियों साल उसे परोपजीवी ही बनकर रहना है । यानी वे मूलतः उद्योगपति नहीं, बाहरी माल के लिए सिर्फ क्लीयरिंग एजंटों के रूप में काम करेंगे ।
4.
आपका जन्म 1907 में प्रयाग में हुआ । आपका असली नाम हरिवंशराय हैं । आपने अंग्रेजी में एम. ए. किया और प्रयाग विश्विद्यालय में प्रध्यापक के रूप में कार्य किया । इंग्लैंड जाकर डॉक्टरेट प्राप्त की । " हालावाद" के कवि के रूप में आपकी ख्याति हुई ।
सरल मुहावरेदार भाषा, प्रांजल और सुस्पष्ट अभिव्यक्ति और सुलझी हुई कल्पना बच्चन की कविता की निजी विशेषताए है । प्रसाद गुण बच्चन के काव्य की सबसे बड़ी विशेषता है जिसके कारण वे जनसाधारण में भी लोकप्रिय है । उनके गीतों में ह्रदय की सहज अनुभूतियों का प्रकाशन हुआ है । निजी जीवन की कुछ घटनाओं और कठिनाईयो के कारण पहले उनमे व्यथा और निराशा का स्वर था, लेकिन बाद में जीवन जब सुव्यवस्थित हुआ और आध्ययन के लिये अधिक अनुकूल अवसर मिला तो उनके चिन्तन का क्षितिज व्यापक हुआ और उनके काव्य में भावो की विविधता आई । यद्यपि उन्होंने प्रणय, मस्ती मधुशाला और मधुबाला के गीत अधिकतर गाये है किन्तु बाद में उन्होंने देश की स्वतंत्रता की भेरी भी बजाई है, वर्तमान समाज की समस्याओं की ओर भी ध्यान दिया और उनका सजीवन चित्रण किया है । अतः उनका अलग स्थान बन बैठा ।
5.
किसी गाँव मे एक सुंदर तालाब था । पास ही एक नदी बहती थी । तालाब ने नदी से कहा, "बहन, तुम बड़ी भूल करती हो, जो अपना मिठा जल समुद्र को दे देती हो । समुद्र उसे खारा बना देती है और तुम्हारा कोई एहसान भी नही मानता । इसीलिए अच्छा होगा, यदि तुम अपने भविष्य के लिए इसे सम्भालकर रखो । बुद्धिमान जो काम करते है, उसके बारे में पहले ही सोच लेते है । " तालाब की बात सुनकर नदी मुस्कराई और बोली, अरे भाई हमे अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए । कर्म करते हुए उसके फल की चिंता में नहीं पड़ना चाहिए ।"
मै अपने मीठे जल से समुद्र का भंडार भर रही हु । अब यह उसका कर्तव्य है कि वह उसे खारा रखे या मीठा । मै तो अपने कर्तव्यों का पालन करूंगी । नदी की बातें तालाब को अच्छी नहीं लगी । वह चुप हो गया । गर्मी का मौसम आया । तालाब सुख गया । पर नदी उसी तरह स्वछ जल बाटती रही । समुद्र को उसी गति से भरती रही। समुद्र को भी अपने कर्तव्य का ज्ञान हुआ । आषाढ़ आया । समुद्र ने बादलो से मीठा जल बरसाया । नदी उमड़ आई और दुगने वेग से समुद्र का घर भरने लगी । यह देख तालाब बड़ा लज्जित हुआ ।
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very rarely got hindi paragraph for practice
ReplyDeletethank you so much...
hindi paragraph bahot kam milte practice k liye... please or add kijiye meri exam he practice k liye help hogi
ReplyDeletesuperb
ReplyDeletelast week took admission for hindi typing and today i got dis
ReplyDeleteits very helpful for me ..
thank you so much
nice
ReplyDeleteyou upload very helpful content
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