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1.
गांधीजी उपवास पर हे । नेता सम्मेलन की मांग सामने आ चुकी है । वायसराय का जवाब भी सामने आ गया है । सरकार को पुरा विश्वास है कि वह न्याय पर है । उसका विश्वास ईसलीये सकारण हे कि गांधीजी के मित्र ऊनके पास पहुंच सकते है और यहा चिकित्सा की भी पुरी व्यवस्था है। संसार उससे जान सकेगा कि सरकार गांधीजी के व्यक्तित्व के प्रती सहृदय है । पर अन्याय निर्मम होता है और यह निर्ममता सरकार को झेलनी पड रही है । जब कि गांधीजी को छोडने मे वह अपने को असमर्थ पा रही है । नेता संम्मेलन को मिले इनकार को नेताओ का अपमान नही मनना चाहिये उसकी कठिनाई भारी है उसको हलका नही समझना चाहिए । यह तय है कि लिनलिथगो गांधीजी के दुःख दर्द मे शरीक रहना चाहते है । साथ ही यह भी साफ है कि गांधी जी , अपने साथियो का विरोध उठाकर भी , युद्ध प्रयत्नो मे विघ्न बाधा न डालने कि नीती को अपनाये रहे है । इस पर भी संकट सिर पर है । मानों सब लाचार है । गांधीजी उपवास के कर्ता है । ऊनकी ओर से वह व्यथा कि पुकार है । इस बार तो सीधे किसी खास प्रयोजन से भी जुडा हुआ नही दीखता । दुसरी ओर वायसराय भी लाचार है । वह इस आत्महत्या को कैसे शुभ समझे । राजनीतीक पैतरेबाजी नही , तो यह ऊनके लीये और क्या चीज हो सकती है । इस से लिनलिथगो भी अपने बंदी मित्र कि रिहाई का हूक्म निकालने मे असमर्थ है । महात्मा गांधीजी ने भारत स्वातंत्र्य कि अपनी लढाई अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही पुरी कि , और भारत को स्वातंत्र्य मिला दिया ।
२.
बचत करना स्वभाविक गुण है । यह गुण मानव में ही नही , अन्य प्राणियो में भी है । सब कूछ न कुछ अपने बुरे दिनो में बचा कर रखना चाहते है । बचत उन सब के लीए आवश्यक हे जो इस संसार में अपनी सुरक्षा और प्रगती के लीए निरंतर संघर्ष करते आ रहे है । हमारे मुनियो ने कहा था कि हर व्यक्ति को अपने कमाई का आधा भाग अपने तथा अपने परिवार के लीए खर्च करना चाहिए । बाकी दो बराबर भाग बचत ओर दान मे लगाना चाहिए । प्रकृती से भी हमे यही शिक्षा मिलती है ।
जो लोंग अपने जीवन मे बेलगम खर्चा करते है उन्हे बुढापे मे पश्चाताप के कडूवे घुंट पीने पडते हे । लेकिन बचत से व्यक्ति का , अपने समाज ओर राष्ट्र का कल्याण होता है तथा पुंजी का निर्माण होता है। देश प्रगती पथ पर तेज गती से बढता है और जनसाधारण का जीवनस्तर ऊंचा उठता है । बचत से ही हम बढती हुई अर्थव्यवस्था से उत्पन्न , महांगाई पर अंकुश लगा सकते है तथा देश का निर्माण कर सकते है ।
नए भारतनिर्माण के लिए हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि अपनी आय में से कुछ ना कुछ बचाकर विकसकार्यो को पुरा करने के लीए दे । बचत के पैसे किसी विशेष कार्य के लीए खर्च किए जा सकते है । व्यक्ति और व्यापारी समुदाय जो बचाते है , वही सरकार कि बचत है । सरकार के द्वारा बचाई गयी रकम भी ईसी वर्ग मे आती है । बचत ही विकास का मंत्र है ।
hindi ke 30 wpm ke paragrapgh or objective bhi add kijiye plzz
ReplyDeletewhere is hindi 30 wpm psg
ReplyDeleteplease add some more paragraph
ReplyDeletevery helpful
ReplyDeleteplz upload more lessons